बुधवार, 7 अप्रैल 2021

कुम्हलाये फूल

ये साँझ को मन क्यों नहीं लगता। इतना अकेलापन ओर खालीपन क्यों घेर लेता है। 6 से 7 तो लगता है जैसे समय रुक सा गया हो।

7 बजे के बाद तो (राम - गरिमा के पति) इनके आने का रहता हैं तो खाने वग़ैरह में समय निकल जाता है।

गरिमा यही सोच उदासी सा भाव लिए छत पे टहल रही थी।

घर के पीछे की सड़क , ट्रेन के पुल के नीचे से हो, आगे हाईवे से जुड़ती है, ट्रकों की एक हम्म। सी आवाज़ आती ही रहती हैं, शाम को एक संगीत सी लगती हैं ये ध्वनि, एक लय एक ताल में।

सर्दियों के दिनों में अंधेरा जब जल्दी हो चलता हैं तो पुल पर से जाती ट्रेन की खिड़कियों से झाँकती रोशनी और झाँकती कितनी जिंदगियां।

क्या इन सब की जिंदगी भी लय और ताल में हैं या बेमेल सी,हमारी ही तरह।

घर में सब ही तो हैं, माताजी, पिताजी और देवर । कोई कमी भी नहीं, फिर भी कुछ तो हैं, जो नहीं हैं।

माताजी - बेटा, राम के आने का समय हो गया है।

गरिमा - आई मां

गरिमा खाने में व्यस्त।

स्कूटर की लाइट और आवाज़ सुन के गरिमा के चेहरे पर एक मुस्कान आ जाती हैं।

पहली मंजिल की रसोई की खिड़की से राम को हेलमेट उतारती हुई देखती हैं।

गरिमा (मन ही मन) फॉर्मल ड्रेस में राम कितने सुंदर लगते हैं।

राम ऊपर आकर, जुते उतारकर सीधे रसोई में आते हैं।

राम - क्या बना रही हो

गरिमा - बैंगन भरता, आपको पसंद है ना इसलिए

राम - परसो तो बनाया था।

गरिमा - क्यों आपको नहीं खाना क्या आज।

राम - नहीं खाना हैं, मुझे तो बहुत पसंद है, पर मम्मी बोलेगी ना।।

गरिमा - कोई नहीं, उसकी आप टेंशन ना लो, कपड़े चेंज करलो और जल्दी से खालो, गरमा गरम हैं

राम - हां, खुशी के भाव में

सोने से पहले गरिमा और राम छत पर टहलते हुवे

गरिमा टहलते हुवे राम का हाथ पकड़ती हैं

राम - हाथ ना पकड़ो, कोई देखेगा, सब लोग (पड़ोसी) टहल रहे हैं

गरिमा - उदास और खिन्न होते हुवे - सब पकड़ के चलते हैं और मेरे पति का हाथ ना पकड़ू तो किसका पकड़ू

राम - मुझे ये सब लोगो के सामने चिपकना अच्छा नहीं लगता

गरिमा - राम तुम बहुत बदल गए हो

राम - कैसे

गरिमा - २ साल पहले जब अपनी शादी हुई थी तब कितना चिपकते थे, सगाई के बाद भी कितनी बातें किया करते थे, अब तो दिन में एक बार फोन भी नहीं करते हो

राम - बात को टालते हुए- ऐसा नहीं हैं। नई नई शादी होती है तब तो ऐसा होता ही हैं।

गरिमा - अब तो बस तुम्हारा मतलब होता है तभी तुम पूरे मेरे पास होते हो, नहीं तो लगता है कि मै कुछ हूं ही नहीं तुम्हारे लिए

बहुत अकेली महसूस करती हूं, ऐसा लगता है अब तो सारी इच्छाएं ही मर गई।

राम - अरे कुछ नहीं हैं ऐसा, देखो पहले कॉलेज लाइफ होती है, बहुत सारे दोस्त होते हैं, अब वो रुटीन नहीं हैं, एक जैसी लाइफ चलती रहती हैं तो ऐसा लगता है, धीरे धीरे इसकी भी आदत हो जाएगी, में भी कभी कभी बोर फील करता हूं

गरिमा - राम, क्या मै तुम्हे पसंद हूं

राम - ऐसा क्यों कह रही हो

गरिमा - तुमने मुझे 5 साल पहले शादी में देखा था, जैसा सब कहते हैं, मैने तो आपको नहीं देखा था, उसके 3 साल बाद आपके घर से ही मेरे लिए बात चली, मुझे इतनी जल्दी शादी नहीं करनी थी, मैने बस म ।ए। पास किया ही था। में 24 साल की थी और आप 29 के।

मैने पापा को कहा भी था कि लड़का तो बड़ा हैं, पर पापा ने कहा लड़का तुझे पसंद करता है और रिश्ता आगे से आया है।

मै यही सोच के खुश थी कि कोई मुझे भी पसंद करता है और मना नहीं कर पाई।

शुरू शुरू में ऐसा लगता भी था कि आप मेरे पीछे पागल हो पर अब लगता हैं कि सिर्फ शरीर के पीछे पागल थे या क्या पता सच में प्यार करते थे।

जब शादी के बाद हम गोवा घूमने गए थे, कितने अच्छे दिन थे, काश वो दिन वापस आ जाए

राम -अरे कुछ नहीं, तुम ज्यादा सोच रही हो, चलो सोने चलते हैं। काफी टाइम हो गया,तुम्हे कहीं घुमाने नहीं लेके गया। जल्द ही चलेंगे

गरिमा - हां चलते है ना, मेरा मन नहीं लग रहा काफी दिनों से

राम - ठीक है चलेंगे

गरिमा सो गई है, राम डिम लाइट में अपने में ही खोया हुआ है

उसके सामने 4 साल पहले की यादें उमड़ आयी और कोमल का मासूम चेहरा उसके नज़रों के सामने आ गया।

वक़्त गुज़र जाता है, बस बाते रह जाती हैं

वो पहली मुलाकात, बस यादें रह जाती है

4 साल पहले, दिल्ली, जनवरी महीना

राम और विनय जी बात करते हुवे

राम और विनय दोनो ने ही नई कंपनी जॉइन की और ट्रेनिंग के लिए कंपनी के दिल्ली के गेस्ट हाउस में रुके हुवे है। 6 दिन की ट्रेनिंग हैं।

गेस्ट हाउस की लॉबी में सोफे पर बैठे बात करते हुवे

राम - विनय सर, गेस्ट हाउस तो अच्छा है कंपनी का

विनय जी - हां भाई, अच्छा हैं, जिनका ये घर हैं वो इसी कंपनी के कर्मचारी हैं और मुंबई में उनकी ड्यूटी हैं तो अपना घर कंपनी को गेस्ट हाउस के तौर पर दे दिया है

राम - बड़े शहरों में कमाने के कितने चांस होते हैं

विनय जी - हां वो तो है ही भाई

राम - सर, आपको तो 15 साल से ऊपर हो गए होंगे

विनय जी - हां भाई 17 साल हो गए

राम - मुझे भी 5 साल हो गए सर, 20 का था,तब ट्रैनी लगा था

विनय जी - अब तो ब्रांच मैनेजर हैं, हमको देखो 17 साल बाद ब्रांच मैनेजर बने हैं

राम - आप सेल्स में लेट आए ना सर, पहले आपरेशन डिपार्टमेंट में थे ना

विनय जी - हां वो तो है भाई

राम उठ कर फ्रिज खोलते हुवे बोलता है

राम - सर फ्रिज में तो बियर रखी है

विनय जी - हां भाई होगी, कंपनी का गेस्ट हाउस हैं, कोई लाया होगा।

ये तीसरा वाला कमरा हैं ना इसमें से कोई 2 एम्पलॉइज अभी ऑफिस को निकले हैं

बालू गेस्ट हाउस का हाउस कीपींग देखता है

राम - बालू ये बियर किसकी है

बालू - वो दो, सर' हैं, कभी कभी ही आते हैं, उनकी हैं, पहले 2 महीने यही रहे थे अब तो नया रूम ले लिया है उन्होंने, पर कभी कबार आ जाते हैं।

आज से आप लोगो की ट्रेनिंग हैं ना, तो अब नहीं आएंगे कुछ दिन, सुबह ही लॉक लगा के निकल गए हैं।

राम- अच्छा तो दो ही रूम खाली हैं फिर, विनय सर, हम 4 लोग हैं ना, तो दो दो हो जाएंगे

विनय जी - हां

बालू - नहीं सर एक तो मैडम आ रहे हैं ना पंजाब से

राम - तो फिर क्या एक रूम में हम तीन लोग रहेंगे

बालू - वो तो नहीं पता सर, मैडम का कॉल आया था, कल सुबह आयेंगे। में तो सुबह 9 से शाम 7 बजे तक रहता हूं, तो आप दरवाजा खोल देना।

गार्ड साहब भी 6 बजे निकल जाएंगे, तब तक आए तो वो हैं, बाद में 9 बजे तक आप देख लेना, फिर तो में आ जाऊंगा।

राम - ठीक है बालू, हम बियर पी सकते हैं क्या रूम में

बालू - मुस्कुराते हुवे। - रूम क्या सर, हॉल (लौबी) में भी पी सकते हो।

कैमरे लगे हैं सर, बस हा हल्ला ना हो, नहीं तो कम्पलेन हो जाती हैं।

राम - हां वो तो है ही भाई, यहां ठेका कहां हैं

बालू -, गार्ड साहब ही ले आएंगे आप उनको बोल देना वैसे पास में ही हैं, सीधा जाके राइट मै हैं

राम - विनय सर आप पियोगे

विनय जी - हां भाई, अभी शाम हो ही गई है, बाहर चलेंगे तो ले आएंगे

राम - बालू किचन हम यूज कर सकते हैं क्या

बालू - हां सर, सामने ही किराना स्टोर हैं, दूध दही भी मिलता है, लेके आ जाओ और बनाओ। नॉन वेज का भी आगे हैं

राम - ओक फिर तो ठीक है

रात का समय, विनय और राम ड्रिंक करते हुवे लॉबी में बाते कर रहे हैं

विनय जी - एक पंकज नाम का लड़का है वो आने वाला था, आया नहीं और वो पंजाब से कोमल नाम की लड़की आने वाली हैं

राम - आप को नाम केसे पता सर, जानते हो क्या पहले से

विनय जी - नहीं, वो जिस रजिस्टर में एंट्री की थी ना अपन ने, उनमें उनका भी नाम लिखा है

राम को कोमल नाम सुन के अच्छा सा लगा, एक शांति सी महसूस हुई

राम - कहां से हैं ये लड़की, कोन सी सिटी से हैं

विनय जी - जलंधर से हैं शायद

राम - अच्छा, राम ड्रिंक करते हुवे

विनय जी -मेरा तो हो गया भाई

राम - एक ग्लास तो बीयर, हुई नहीं सर आपकी

विनय जी -भाई सोचा तो था ज्यादा पियेंगे पर हो गया अपना, चार बियर लाए थे अब तो वेस्ट ही होगी

राम - अरे सर में पीऊंगा अभी तो, और बाकी रही तो कल पियेंगे

विनय जी - अरे नहीं यार, कल तो वो लड़की आयेगी, वो अकेली होगी और वो लड़का भी आ गया तो,अच्छा नहीं लगता

राम - में तो पीऊंगा सर, अपनी पीने के बाद टॉक और व्यवहार में कोई बदलाव तो आता नहीं हैं। मै तो उलटा ज्यादा शांत हो जाता हूं।

विनय जी - लड़की के सामने इंप्रेशन खराब होता है रे और तो कुछ नहीं

राम - इंप्रेशन जमा के अपने को करना क्या है सर, में लड़कियों से थोड़ा दूर ही रहता हूं

विनय जी -क्यूं

राम - एक बार कॉलेज में इश्क में जले हुवे हैं सर, उसके बाद इनसे दूरी ही भली

विनय जी - अच्छा, कोई नहीं। में अब सोऊंगा

राम -ठीक हैं सर

राम के मन में एक खुशी, शांति सी, अच्छा सा महसूस हो रहा था। न चाहते हुए भी कल आने वाली लड़की के लिए उसके मन में एक उत्सुकता थी।

राम मन ही मन में सोचता हैं - अरे ये में क्या और क्यों सोच रहा हूं

कुछ देर और पीने के बाद सो जाता है

एक घंटे बाद

राम को महसूस होता है कि वो कोमल नाम का जप कर रहा है,नींद में ही,

राम - ये क्या,में पागल हो गया हूं, मन ही मन हंसता हैं और वापस सो जाता हैं

सुबह 6 बजे

विनय जी जी सो रहे हैं, राम उठ जाता है

राम - अरे मेरी नींद जल्दी केसे खुल गई, में तो घर पर भी 8 बजे तक सोता हूं

फिर कोमल का याद आता है तो बाहर जाके देखता है, अभी तो कोई नहीं आया।

राम - विनय जी में नहाने जा रहा हूं, वो लड़की आए तो गेट खोल देना, गार्ड नहीं है शायद।

विनय जी नींद में ही - ठीक है, तू इतनी जल्दी क्यों बाथ ले रहा है

राम -अब उठ ही गया हूं तो सर तो।

राम कोमल को अच्छा दिखना चाहता है, जल्दी से तैयार होने लगता है।

विनय जी वापस सो जाते हैं

राम शेविंग दो दिन में एक बार ही करता है पर आज वो कर रहा था।

राम तैयार होके बाहर आता ही है कि, तभी टैक्सी की आवाज़ सुनाई देती हैं

राम हॉल की खिड़की से कोमल को देखता है, बीच में एक पेड़ होने की वजह से साफ नहीं देख पा रहा था।

पर लोवर में एक लंबी भरी पूरी सी लड़की, लंबे घने बाल, 5 फूट 7 इंच की,23,24 साल की आकर्षक लड़की

उसके साथ एक लड़का भी हैं, राम को लगता है वो पंकज होगा।

राम गेट खोलता है

राम - आइये

कोमल अपना सामान लॉबी में रखती हैं और सोफे पर बैठती है, उसके साथ वो लड़का भी बैठ जाता है

राम सोचता हैं ये पंकज होगा और पहले से इस कंपनी में ये दोनों होंगे, एक दूसरे को जानते होंगे, शायद गर्ल फ्रेंड, बॉय फ्रेंड होंगे।

राम आगे बढ़कर बात करता है

राम - आप कोमल हो ना

कोमल - हां

राम लड़के से - और आप पंकज हैं ना

लड़का - नहीं में तो दीदी को ड्रॉप करने आया हूं

कोमल - ये मेरा कजिन हैं,रात की बस थी तो

राम -ओके,ये सीढ़ी के पास वाला दूसरा रूम आप ले लीजिए

कोमल - ठीक है

कोमल सामान उठाती हैं और रूम में जाती हैं, राम भी अपने रूम में चला जाता है और रेस्ट करने लगता है

सुबह 9 बजे

विनय जी तैयार होके लॉबी में आ गए हैं, राम भी तैयार हो के बैठा है

विनय जी - अभी निकलना चाहिए, नहीं तो लेट हो जायेगें

कोमल का भाई, कमरे से बाहर आते हुए, इस रूम की चाबी नहीं है क्या?

राम - चाबी तो होगी ही, अभी यहां एक लड़का काम करता बालू, वो आएगा तो दे देगा

कुछ देर में बालू आता है, चाबी मिलने के बाद कोमल का भाई चला जाता है।

विनय जी, 9:20 हो गई, चले क्या

राम - ये भी तो ट्रेनिंग में ही जाएंगे

विनय जी - बात करले तो

राम कोमल को गेट के बाहर से पूछता है, आप चल रहे हो क्या ट्रेनिंग में

कोमल - बस 5 मिनट, आयि

पहला दिन

विनय जी और राम टैक्सी कर लेते हैं, तभी तक कोमल भी आ जाती हैं

कोमल ने एक जीन्स और शेर की डिजाइन का टॉप पहन रखा था, वो जितनी सुंदर लग रही थी उतनी ही शादगी उसके चेहरे पे थी

राम पहले टैक्सी में बैठ जाता है, कोमल विनय जी को बैठने को कहती हैं, और फिर बैठ जाती हैं

राम को लगता है जैसे उसने ज्यादा बात की तो लड़की उसे गलत समझ रही हैं, वो अपने आप को संभाल कर बैठ जाता है।

टैक्सी नेहरू पैलेस से होते हुवे, कमल सिनेमा पहुंचती हैं।

एक घंटे के इस सफर में राम कोमल को नहीं देखता है, उसे वैसे भी किसी लड़की के ज्यादा करीब जाने से डर लगता है और शायद कोमल उसे चिपकू समझ रही थी

विनय जी पेमैंट करते हैं, कोमल अपना पेमेंट देने लगती हैं तो विनय जी कहते हैं हम बाद में हिसाब कर लेंगे।

ऑफिस में एक छोटे मीटिंग रूम में

कोमल, विनय जी, पंकज और राम बैठे हैं और बातें कर रहे हैं। एच। आर। मैनेजर सब का इंट्रोडक्शन करवा के गए हैं और ट्रेनिंग मैनेजर के आने से पहले उनको आपस में बात करने का और ऑफिस देखने का बोल के गए हैं

राम - पंकज से - अरे सर आप गेस्ट हाउस नहीं आए

पंकज बहुत सीधा सा, थोडा कम हाईट का पहाड़ी लड़का हैं, पूरे बाल ऊपर की तरफ बनाता हैं

पंकज - अरे राठौड़ साहब( राम से ) सर मत बोलो। मेरे भैया का रूम ऑफिस के पास ही हैं, तो इतना दूर कहां जाता, आप कोन कोन लोग हो वहां

राम - में, आप मैडम और विनय सर

पंकज - अच्छा, अभी 3 दिन के बाद, ऑल इंडिया की ट्रेनिंग भी तो हैं फिर तो होटल में ही होगा सब का स्टे

राम -पता नहीं,जेसे एच। आर। बोलेंगे, कर लेंगे

सब आपस में अपने एक्सपीरिएंस बता रहे होते हैं, पंकज कोमल में काफी दिलचस्पी ले रहा होता है, राम ये देख रहा होता है और सोचता हैं कि चलो इनका सुरु हुआ, पर, अपने को क्या

राम कुछ शेयर कर रहा होता है तभी

कोमल - ( राम के लिए)- इसकी आवाज़ कितनी प्यारी है

राम को अपनी आवाज़ तो कभी अच्छी लगी नहीं और कभी किसी ने ऐसा बोला भी नहीं। पर राम को सुन के अच्छा लगा

ऐसा क्या है जो मेरा मन इसकी तरफ बहे जा रहा है(राम), पर राम ये सब कोमल पे जाहिर नहीं होने देना चाहता था

राम - मेरी आवाज़, मेरी तो हिंदी में भी राजस्थानी असेंट है

कोमल - तभी तो अच्छी लग रही हैं, वो सीरियल में बोलते हैं ना -" ए भाया" और खुल के हंसती है

राम, विनय जी और पंकज भी हंसता हैं

राम को भी कोमल का हिंदी में पंजाबी एसेंट लुभाता है पर वो कुछ नहीं बोलता

कोमल मीटिंग रूम से बाहर निकल कर ऑफिस के कुछ जान पहचान के स्टाफ से मिल रही होती हैं, राम उसको इधर उधर जाते हुवे देखता रहता है।

शाम का समय गेस्ट हाउस में 7 बजे

कोमल - विनय जी आप मुझे बहुत क्यूट लगे, बहुत कम लोगों के साथ ना सेफ महसूस करती है लड़कियां। आप में ना फ़ैमिली वाली फीलिंग आती है

विनय जी - मुझे भी तू सिस्टर जैसी लगती हैं

कोमल - खाने का क्या करेंगे

विनय जी - ले आएंगे बाहर से, क्या खाओगे

कोमल - में तो बटर चिकन

राम - मेरा भी सेम

विनय - चल राम ले आते हैं

सब खाना खाते हैं और फिर सब बातें करते हैं

कोमल विनय जी से ही ज्यादा बात कर रही होती है, राम समझ जाता है तो वो बात करना कम कर देता है

कोमल - चाय कोन कोन पियेगा

दोनो हां कर देते हैं

तीनो चाय पी रहे होते हैं

विनय जी - अब सोएंगे यार, आज थकान काफी हो गई। (कोमल को) आप की भी तो रात की बस थी रेस्ट कर लो

कोमल - अभी 15 मिनट सोई थी, थोड़ी देर बाद देखते हैं

राम - सर ड्रिंक करोगे

विनय जी - अरे नहीं रेे

कोमल - तू ड्रिंक करता है

राम - रेगुलर नहीं पर कभी कभी

कोमल - यहां नहीं पीना नहीं तो में कम्पलेन कर दूंगी

राम - आपको क्या प्रॉबलम हैं, मैं तो सिगरेट भी पिता हूं, वैसे भी मैने बालू ओर गार्ड साहब को बता रखा है। कंपनी गेस्ट हाउस हैं यार

कोमल - हां, सिगरेट पीते तो मैने तुझे आज आफ्टर लंच देखा भी था

राम - सिगरेट तो में बाहर जाके भी पी सकता हूं ताकि आपको परेशानी ना हो बट ड्रिंक तो

कोमल - पर अभी तो चाय पी हैं, खाना खाया हैं

राम - मेरे को चलता है

कोमल - फिर तो ये ज्यादा पीता हैं

विनय जी - नहीं ये कभी कभार ही पीता हैं, अभी ट्रेनिंग में है तो, आप डरो नहीं सीधा लड़का हैं, अच्छे घर का लड़का हैं

कोमल - क्यूं अपने आप को खराब कर रहा है

विनय जी सोने चले जाते हैं

कोमल वहीं बैठी हैं, राम पीने में लगा हैं

कोमल - ड्रिंक के अलावा, तुम्हे क्या अच्छा लगता है

कोमल ने चश्मा लगा रखा होता है, राम को कोमल और भी अच्छी लगती हैं, वही लोवर और हलका लूज टॉप पहना होता है, उसके घने बाल उसको और सुंदर बना रहे हैं

राम - मुझे उन लोगो से बातें करना अच्छा लगता है जो मुझे अट्रैक्ट करते हैं या अच्छे लगते हैं, लड़को के साथ तो इसमें प्रॉबलम नहीं हैं बट गर्ल्स काफी इसको अदरवाइज ले लेती हैं, उनको लगता है मेरे पे लाइन मार रहा होगा

काश मै यूरोप में पैदा होता,वहां ये गैप नहीं हैं लड़के लड़की का

कोमल - बाते तेरी अच्छी है, अच्छा लड़का हैं,क्यूं अपने आप को वेस्ट कर रहा है, कहीं इन्वेस्ट कर अपने को सही जगह पर

काफी देर दोनो बातें करते हैं, एक दूसरे को ऐसा लगता है जैसे सालो से जानते हो, राम कोमल को विनय जी वाली बात बताता है कि चार बियर लाए और विनय जी आधी ग्लास में ही सेट हो गए

कोमल सोफे पर बैठी,पैर उठा के, ताली बजा के जोर से हंसती हैं, उसका चोर दांत राम को दिखता हैं, कोमल की हँसी राम को बहुत प्यारी लगती हैं

कोमल से आंखे मिलती हैं तो ऐसा लगता है जैसे समय ठहर गया हो, बारिश का मौसम हैं, और मधुर धुन मौसम में घुली हैं।

बीच में कोमल एक बार फिर चाय बनाती हैं, राम कोमल को चाय बनाते हुवे देखता है, एक बार कोमल भी देखती हैं, स्माइल करती हैं, पूछती हैं क्या हुआ, राम कहता हैं कुछ नहीं

राम का दिल जैसे पतझड़ के बाद फिर हरा हो गया हो, बातें करते हुवे 2 बज जाती हैं।

कोमल -अब सोये

राम - हां

राम बड़ा शांत सा, खुश सा फील करता है, सोने चला जाता है

दूसरा दिन

सुबह टैक्सी में कोमल फिर पहले विनय जी को ही बैठने का बोलती हैं, पर राम को बुरा नहीं लगता, वो नजर बचा बचा के कोमल को देखता है।

आज मीटिंग रूम में कोमल और राम एक दूसरे से काफी बात करते हैं, पंकज को भी समझ आ जाता है,दोनो का एक दूसरे को बार बार देखना और उनकी खुशी।

शाम को गेस्ट हाउस में खाने के बाद राम ड्रिंक कर रहा है और विनय जी और कोमल से बात करता है, कुछ भूतो की स्टोरीज भी राम सुनाता हैं,

कोमल - फ़ैमिली में कौन कौन हैं तेरे और क्या करते हैं

विनय जी - ये स्ट्रॉन्ग फ़ैमिली से हैं, सब बहुत अच्छा हैं

कोमल - - अच्छा

कुछ देर बाद विनय जी सोने चले जाते हैं

कोमल - चाय पियेगा

राम - हां

कोमल - ड्रिंक के बीच में चाय केसे पी लेता है

राम - चलता है मेरे को

कोमल - चाय बना के लाती हैं, सोफे पर बैठती हैं- पता हैं मेरा बापू बहुत पिता था, मै नवी क्लास में थी,तभी चला गया

राम - ओह

कोमल - बहुत सारी प्रॉपर्टी थी उसकी, प्रॉपर्टी डीलर था, अभी भी एक ज़मीन का केस में काफी सालो से लड़ रही हूं

राम - अच्छा तुम, क्या ऐज है तुम्हारी

कोमल - 23 साल,

राम - बड़ा हिम्मत का काम इतनी ऐज में ये सब संभालना

कोमल -,पापा ने जो भी कमाया, हमे मिला नहीं, ज्यादातर उनके पार्टनर ही खा गए, नवी क्लास से काम कर रही हूं, कभी कहीं, कभी कहीं

में बड़ी जल्दी बड़ी हो गई थी, मेरा भाई छोटा हैं, बड़ी बहन मुझसे 2 साल बड़ी है, वो भी काम करती हैं, पर बहुत सीधी है,सो सारा काम मुझे ही देखना होता है ये कोर्ट वाला और सब

राम - सैल्यूट हैं, कम ही लड़कियां इस ऐज में इतनी मैच्योर होती है, तुम्हे देख के लगता नहीं तुम इतना सब झेल रही हो

कोमल - पता है मेरी बहन बहुत सुंदर हैं, फोटो दिखाती हैं

राम - हां सुंदर तो हैं

कोमल - शादी करेगा इससे

राम -पागल हो गई हो क्या

कोमल - क्यूं,मेंरी बहन के लिए मै लड़का नहीं देखूंगी तो कोन देखेगा

राम - फ़ैमिली वाले

कोमल - कौन फ़ैमिली वाले, उन्होंने तो हमारे पुस्तेनी मकान पे भी कब्जा कर रखा है, हम जलनधर में रहते हैं, मामाजी के फ्रेंड का घर है वहां, वो फ़ैमिली बाहर रहती है, नहीं तो रोड़ पे होते

मैने कहा था ना तुझे, मै तुझे कहीं इन्वेस्ट करना चाहती हूं, वो में तुझे सिस्टर के लिए ही सोच रही थी, तू मुझे अच्छा लगा पहली बार में, लेकिन फिर सिगरेट और ड्रिंक का देख के चुप हो गई

राम - कमाल हो आप तो

पर हमारे साथ ये पॉसिबल नहीं हैं, में राजपूत कम्यूनिटी से हूं, वहां हमारी जात में भी सारे गांव पता करके और फिर रिश्ता करते हैं, अलग कास्ट या धर्म तो बहुत दूर की बात है

कोमल -पर ये तो गलत हैं ना, फिर क्या करते हैं, लड़का लड़की को मार देते हैं

राम - अरे ऐसा नहीं हैं, मेरे मां बाप खुद ही हार्ट अटैक से मारे जाएंगे ये सुन के, की मैने कहीं और शादी की हैं, सीधे लोग है, मार पिट उनके स्वभाव में नहीं हैं

कोमल - आज के टाइम में भी ऐसा चलता है

राम - कई घरवाले अपने ही बच्चो को घर से बाहर कर देते हैं, समाज के लोग ऐसे लोगो से फिर रिश्ता भी नहीं करते।

गलत तो हैं ये सब, इंसान तो सब एक ही हैं। पर अब वो पुराने लोग हैं नहीं समझ पाएंगे।

शॉर्ट में - हमको इश्क़ करने की इजाज़त नहीं हैं।

कोमल - बाप रे, फिर अगर उस लड़के को कुछ हो जाए तो उस लड़की को भी अपनाएंगे नहीं

राम - हां

कोमल - फिर वो लड़की तो अपने ही घर पे बोझ बन जाएगी।

क्या बेकार बात हैं, ऐसे लोगो के साथ कभी रिश्ता ना करू मेरी बहन का

राम - हां यही सही हैं

राम -तूम्हारे हाथ पर ये निशान केसा

कोमल - मेरा भाई जब छोटा था तो उसने बिजली की तार पकड़ ली थी, घर के ऊपर से ही लाइन जाती थी, मैं वहीं थी, मै भाई को पकड़ के गिरी, उसी से ये हाथ जल गया था

राम - तुम्हे कुछ ज्यादा भी हो सकता था

कोमल - मेंरा भाई बहुत प्यारा है, उसे केसे कुछ होने देती, 

राम - बुरा ना मानो तो तुम्हारे हाथ को छु के देखूं

कोमल कुछ नहीं बोलती हैं

राम जले हुवे निशान को छूता है, पहले एक उंगली से, फिर 2 से, फिर पूरे हाथ से

कोमल - बस बस हो गया

राम पीछे हटता हैं

राम - पता हैं, मुझे हाथ देखना आता हैं

कोमल - अच्छा

राम - तुम्हारा देखूं

कोमल - दूर से

राम हाथ देखते हुवे कोमल की लकीरों को अपनी उंगली से टच करता हैं

कोमल रात बहुत हो गई है सोए, फिर से 2 बज गए हैं

तीसरा दिन

राम जब कोमल को ट्रेनिंग के लिए बुलाने गया, कोमल छोटे सफेद फूल से इयररिंग पहन रही थी, कोमल ने ब्लू जीन्स पे व्हाइट शर्ट पहन रखा था।

राम बस उसे देखे जा रहा था, राम का देखना कोमल को भी अच्छा लग रहा था, कुछ देर बाद

कोमल - हंसते हुवे - जाओ आती हूं

राम वहीं खड़ा रहता है और सोनू निगम का गाना गुनगुनाने लगता है जो उसने कुछ ही दिन पहले सुना था

तेरी शर्ट दा, में ता बटन सोनिए।।

कोमल रेडी हो जाती हैं, राम और विनय जी के साथ ऑफिस निकल जाती हैं

ट्रेनिंग में राम की नज़रे बार बार कोमल पे चली ही जाती है ।

शाम को आते वक़्त कोमल टैक्सी में पहले बैठ गई, राम उसके पास में बैठ गया। कोमल के बाल उड़ उड़ कर राम पे आ रहे थे, राम कोमल को बस देखे जा रहा था।

कोमल भी जानती थी कि राम उसे देख रहा है, कोमल बहुत खुश लग रही होती है, उसके गालों की लाली का रंग आज अलग ही लग रहा होता है।

राम के मन का और दिल्ली का मौसम बड़ा खुशनुमा हो रखा होता है

राम के मुंह से एकाएक सा निकल पड़ता हैं

राम - आई लव यू

कोमल - हंसती हैं और कहती है आई लव यू टू और फिर हंसती हैं

विनय जी - अरे ये क्या

कोमल और राम एक दूसरे को देख के हसने लग जाते हैं

शाम को खाने के बाद वहीं तीनो का एक साथ बैठना ओर बातें करते हैं

विनय जी - कल तो होटल शिफ्ट होना हैं

राम - हां सर आपका, मेरा और पंकज का रूम एक साथ हैं

कोमल - हमारी भी पंजाब से टीम आ रही हैं, मेरा, स्वाति और सोनल का रूम एक साथ हैं

विनय जी - में तो यार होटल में नहीं रुकूंगा, होटल के पास ही कॉलोनी में एक स्कूल फ्रेंड का घर हैं, उसकी बीवी अभी मायके गए हुई हैं सो वो जिद कर रहा है

राम - अरे सर कहां जा रहे हो, गप्पे मारेंगे,एंजॉय करेंगे

कोमल - हां विनय जी

विनय जी - दिन भर तो रहूंगा ही, बस रात को जाऊंगा, तेरे और पंकज के भी आराम हो जाएगा, वैसे भी अब इतनी बातें कहां कर पाएंगे, अभी 3 लोग हैं, कल 300 के ऊपर स्ट्रेंथ होगी।

और बॉसेस भी होंगे, तो सब यही बोलेंगे, अपनी अपनी स्टेट टीम के साथ रहे, ज्यादा इधर उधर जाओगे तो बातें भी बन जाती हैं और सीनियर्स की नजर में आ जाते हैं

विनय जी कुछ देर में सोने चले जाते हैं

कोमल चाय बना के लाती हैं

कोमल - आज ड्रिंक नहीं कर रहा

राम - नहीं तुझे भी तो पता चले की होश में भी में वैसा ही हूं, जैसा पीने के बाद

आज मैने जो आई लव यू बोला उसको दिल पे नहीं लेना। तुम मुझे बड़ी अच्छी लगी बट तुम्हे पता है ना

कोमल - हां की तुम लोगो को इश्क़ करने की इजाज़त नहीं हैं

राम - हां पर मुझे अच्छा फील हो रहा है, आगे कुछ बनना नहीं हैं हमारा, पर जिसके मन में प्यार हो वहीं प्यार को समझ सकता है। और शायद प्यार से भरा इंसान,सब को प्यार भी कर सकता है

कोमल -अच्छा तो तू सच में प्यार करता है

राम - वैसा नहीं की जैसा फिल्मों में होता है कि तेरे बिना जी नहीं सकता,

एक अच्छा एहसास हैं, तू दूर भी रहेगी तो भी तकलीफ नहीं हैं, बड़ा पॉजिटिव टाइप का अहसास हैं।

कोमल - ओये मुझे कोई प्यार व्यार नहीं हैं,तूने बोला था,तो मैने भी बोल दिया था

तू अच्छा दोस्त हैं, बड़ा प्यारा हैं, मुझे अपना सा लगता है, बाकी कुछ नहीं

राम - तू ऐसा मान ले

कोमल - ओर मुझे ऐसे रिश्ते ही अच्छे लगते हैं और ऐसे रिश्ते ही चलते हैं

नहीं तो यहां कोन देखने वाला,जो मर्जी करो, पर तेरे से ना मुझे जिंदगी भर के लिए दोस्ती रखनी है

राम - यार उसकी में गारंटी नहीं दे सकता, मै तो यहां से जाने के बाद तुझसे बात भी नहीं करने वाला

कोमल - क्यूं, कोई नहीं,मै तुझे कॉल कर लूंगी

राम - नहीं यार वो सब शायद मुझसे ना हो

कोमल - क्यूं शाले मुझसे बात नहीं करेगा

राम - मेरे कुछ पुराने एक्सपीरिएंस अच्छे नहीं रहे

कोमल - में तो करूंगी

दोनो काफी देर एक दूसरे से बातें करते हैं

कोमल -वही 2 बज गए, कमीने तेरी बातें खत्म ही नहीं होती

दोनो फिर बातों मै लग जाते हैं, दोनो की छवि एक दूसरे में जैसे घुल सी जाती हैं। सुबह के चार बज जाते हैं

दोनो एक दूसरे को देखते हैं, स्माइल करते है

कोमल - चल सोते हैं, कल पूरे दिन की ट्रेनिंग हैं

चोथा दिन

सब अपने अपने रूम में सेटल हो जाते हैं और 9 बजे ट्रेनिंग सुरु हो जाती हैं।

कोमल थोड़ी आगे को बैठी हैं अपनी पंजाब टीम के साथ, राम विनय जी के साथ,राजस्थान टीम में, और पंकज हिमाचल की टीम में

राम की नजर रह रह कर कोमल पे ही चली जाती हैं, कोमल की नजर भी हर इंटर्ववेल में राम ही को ढूंढती रहती हैं

लंच टाइम में कोमल और राम एक साथ बैठ के ही लंच करते हैं

उनमें कोई डर या शर्म का भाव नहीं आता, उनकी ईमानदारी उनकी ताकत बन जाती हैं, वो सबसे आंख मिला कर बात करते हैं और साथ में भी हैं।

लंच के बाद ट्रैनिंग में कोमल राम के पास आके बैठ जाती हैं

शाम को ट्रेनिंग खत्म होने के बाद, सब लोग पुराने लोगो से मिलते हैं। राम को इस सेम इंडस्ट्री में 5 साल हो गए, वो भी कई लोगो से मिलता है जो इसी कंपनी में आ गए थे

कुछ देर बाद सब चेंज करके इधर उधर घूमते हैं

कोमल - चल कमिने, मुझे आज जो पढ़ाया, रिवीजन करा उसका

राम - कहां समझाऊं

कोमल - इधर ही होटल लॉबी में

राम - हां फिर ठीक है, मैने सोचा रूम में ओर भी लड़कियां हैं, फालतु बात बनेगी

दोनो लॉबी में बैठ कर बातें कर रहे होते हैं

तभी कोमल की फ्रेंड्स स्वाती और सोनल आती हैं, कोमल सब का इंट्रोडक्शन राम से कराती हैं और बताती हैं कि वो स्टडी कर रहे हैं, कल मॉर्निंग एग्जाम के लिए, सोनल चली जाती हैं, स्वाति वहीं बैठ जाती हैं ।

कुछ देर में पंकज और विनय जी भी आ जाते हैं। विनय जी बात करके अपने दोस्त के वहां निकल जाते हैं।

स्वाति पंकज में बहुत घुल जाती हैं।

कोमल राम को बताती है कि पंकज के बारे में स्वाति पूछ रही थी आज ट्रेनिंग में,

इसका कोई बॉयफ्रेंड था उसकी शक्ल पंकज से मिलती है थोड़ी

राम और कोमल एक दूसरे की ,स्टडी में भी, कंपैनी एन्जॉय करते हैं

कुछ देर डिनर के बाद, पंकज और स्वाति चले जाते हैं

राम और कोमल फिर वहीं लॉबी में बैठ के बातें करते हैं।

राम को कई कलीग उसे ड्रिंक का ऑफर करते हैं वो सबको मना कर देता हूं।

कुछ खास जान पहचान वालो को भी

कोमल उसे कहती भी हैं कि,जाना चाहो तो चले जाओ, पर राम मना कर देता है

दोनो बातों में घुल जाते हैं, बीच में कोमल चाय बी ऑर्डर करती हैं

बातें करते करते 12 कब बज जाती हैं, पता ही नहीं चलता

कुछ 7,8 कलीग बाहर से आते हैं ड्रिंक किए हुवे, उसमे एक राम के जान पहचान का होता है

अन्ना - क्या कर रहे हो राम

कोमल - हम स्टडी कर रहे हैं

अन्ना - तो हम भी थोड़ी स्टडी कर लेते हैं, टौंटिंग अंदाज़ में

अन्ना की हरकतें ट्रेनिंग में भी बदमाश की तरह होती है और वह और बाकी लोग दिखने में भी बदमाश की तरह लगते हैं

सब लोग वहीं बैठ जाते हैं, कोमल घबरा जाती हैं, वो कहती हैं

कोमल - राम में निकलती हूं

राम - तुम रुको

राम अन्ना और बाकी लोगों को देख के, गुस्से में, पर शांत आवाज़ में, उनसे कहता है

राम - अभी तो तुम सब लोग पिए हुवे हो, सुबह होश में आओ फिर में तुम्हे अच्छे से स्टडी करवाता हूं

अन्ना समझ जाता है

अन्ना - अच्छा में चलता हूं

सब लोग निकल जाते हैं

राम - कोमल तुम जा क्यूं रही थी

कोमल - सब लोग आ गए थे, मुझे लगा कोई बात बढ़ जाएगी

राम - तुम तो मुझे अपना मानती हो ना, कोई भी एरा गेरा मेरे पास आके बैठ जाएगा तो तुम चली जाओगी क्या

कोमल को अफसोस होता है

कोमल - जब तक तुम नहीं कहोगे में तुम्हारे पास से अब कभी नहीं जाऊंगी, में थोडा डर भी गई थी, ओकवर्ड सा लग रहा था

राम - कोई बात नहीं

कोमल के कंधे पर हाथ रखता हैं और रूम तक ड्रॉप करके आता है

5वा दिन

आज कोमल नीले और हरे कलर का पंजाबी सूट पहन के आती हैं, वो बहुत मासूम और सादगी भरी लगती हैं

राम की आंखे बार बार उसपे जाती हैं

ट्रेनर का आज टॉपिक ही ड्रेसिंग सैंस था, वो कोमल के ड्रेसिंग सैंस की तारीफ भी करता हैं

राम और कोमल पूरे ट्रेनिंग में आस पास ही रहते हैं

शाम को कोमल और राम लॉबी में बातें करते हैं

राम - यार ये ट्रेनर कितना कांफिडेंट हैं ना, मुझे बड़ा अच्छा लगा

कोमल - हां वो बड़ा अच्छा हैं पर तू उससे भी बेटर हैं, तू किसी से कम नहीं

तेरी भी एक टोर हैं, तू बड़ा क्वालिटी वाला इंसान हैं

सिगरेट दारू में अपने को वेस्ट ना कर

राम - ठीक हैं में गिव अप की कोशिश करूंगा

कोमल - राम तू सच में जाने के बाद मुझसे बात नहीं करेगा

राम - हां, यही मेरे लिए और तुम्हारे लिए अच्छा है

कोमल - राम एक बात बोलूं

राम - हां

कोमल - मेरी आंखें ना हरदम तुम्हे ही ढूंढती रहती हैं

आंखे बंद करके सोती हूं तो तुम्हारा चेहरा और बातें सामने आ जाती है, मुझे बड़ी खुशी सी होती है, शांत हो जाती हूं, बड़ा अच्छा अच्छा लगता है

राम - अच्छा, सच्ची

पता हैं मुझे ऐसा गेस्ट हाउस में भी लगता था, पर वहां मैने अपने को समझाया कि तुम अकेली लड़की हो और बहुत बाते हुई हैं तो शायद लगता होगा

पर अब तो खूब हैं पर नजर कहीं नहीं जाती, तुम्हे ही नज़रे तलाश करती रहती हैं

जब रूम में जाता हूं, पंकज बात भी करता है, तो भी आंखें बंध कर तुम्हे ही देखता हूं, बहुत खुश होता हूं।

किसी की बात सुनाई ही नहीं देती,मन करता है कोई कुछ ना बोले

बस तुम्हारे ध्यान में डूबा रहूं

कोमल - क्या कर दिया तूने, मुझे भी यही सब लगता हैं

दोनो एक दूसरे को देख के हंसते हैं

कोमल अपने घर के बारे में बहुत सारी बातें बताती हैं, बाते करते करते काफी देर हो जाती हैं

दोनो सोने चले जाते हैं

छटवा दिन

लंच में राम ट्रेनर को अपनी तबीयत खराब होने का हवाला दे, ऑफ ले लेता है

वो कोमल को मेसेज करता हैं की वो उसके रूम में आ जाए

राम मन ही मन सोचता हैं वो कुछ गलत तो नहीं सोचेगी मेरे बारे में,

वो रूम का दरवाज़ा थोड़ा खोल भी लेता है ताकि अगर वो आए जाए तो उसके बारे में कोई बुरा ना सोचे

आधे घंटे बाद कोमल आती हैं

आज ब्लू जीन्स पे ब्लैक टॉप पहन रखा था

राम - बुरा ना मानो तो एक बात बोलूं

कोमल - हां

राम - कल हम चले जाएंगे, में तुम्हे गले लगाना चाहता हूं

कोमल कुछ नहीं कहती बस खड़ी रहती हैं

राम पास आता है कोमल के हाथ को अपने हाथ में लेता हैं

कोमल के हाथ की गरमास राम के हृदय में उतर जाती हैं

कोमल कुछ नहीं कहती तो राम उसे गले लगाता है

कोमल भी उसे गले लगाती हैं, सामने आइना होता है, दोनो उसमे एक दूसरे को देखते हैं

राम - तुम्हारे शोल्डर वाइड हैं, तुमपे टीशर्ट और टॉप बड़े अच्छे लगते हैं

तुम पहले दिन आई थी तब मैने तुम्हे विंडो से देखा था और तुम मुझे बहुत अच्छी लगी थी

कोमल - अच्छा, मुझे लगा हमारा नेचर और परवरिश शायद एक जैसी हैं इसलिए में तुम्हे अच्छी लगी

राम - हां वो तो है ही, पर तुम अट्रैक्टिव बहुत हो

कोमल - सच्ची

राम - हां, राम अपनी सारी बातें बताता हैं जो उसने पहले दिन से फील की

राम - मेरे मन में,तुम्हे छूना जरूरी नहीं लगा, मै तुम्हारे पास भी होता हूं तो बहुत सेटिस्फाई और खुश होता हूं

पर ऐसा खास लगाव और इतने पॉजिटिव रिश्ते की एक याद साथ रखनी थी कि तुम मेरी हो

कोमल उसे फिर से गले लगाती हैं

कोमल अब जाने का कहती हैं, ट्रेनिंग खत्म होने वाली हैं

राम भी हां कहता है।

ट्रेनिंग के बाद कोमल राम से लॉबी में मिलती है

कोमल - राम सुबह मेरी ट्रेन हैं, आज बाहर चले, मुझे तुझे एक गिफ्ट देना हैं

राम - क्यूं तो, वैसे भी सर्दी ज्यादा हैं

कोमल - मेरा मन हैं

राम - अच्छा फिर सभी चलते हैं

कोमल, राम, पंकज, विनय जी, स्वाति सब चलते हैं

पैदल ही सब घूमने निकल जाते हैं

सर्दी बहुत तेज होती है, कोमल जैकेट में राम को बहुत सुंदर लगती हैं

बीकानेर वाला रेस्ट्रौंट में पास पानी पूरी खाते हैं, कोमल एक गिफ्ट शॉप से राम को एक गिफ्ट लेकर देती हैं

काफी घूमने के बाद, और बाहर ही खाना खाने के बाद वापस आते हैं

होटल की तरफ चलते हुवे

राम - कोमल मै दिल्ली पहले भी आ चुका हूं पर कभी मुझे अच्छा नहीं लगा

आज पहली बार दिल्ली कि रात अच्छी लग रही हैं।

रोज अखबारों में दिल्ली की रेप की खबरे पढ़ के इस शहर में घूमने से भी डर लगता हैं

पर आज मुझ में कोई डर नहीं हैं, कोई चिंता भी नहीं

तुम्हारे साथ क्या केमिस्ट्री हैं, मेरे अंदर कोई डर नहीं

कोमल - हां में भी बहुत फ्री महसूस कर रही हूं

होटल आते आते 11 बज जाते हैं,होटल आके देखते हैं तो कोमल और स्वाति का रूम अन्दर से लॉक होता हैं

गेट काफी नोक करने के बाद में भी कोई दरवाजा नहीं खोलता, स्वाति कॉल भी नहीं उठाती हैं

सब रिसेप्सन पे जाके रूम में कॉल करने का बोलते हैं

एक रिंग जाने के बाद कोई फोन को उठा साइड में रख देता हैं

रिसेप्शनिस्ट मास्टर की। ले साथ चलता है पर डोर की चिटकनी अन्दर से बंद होने की वजह से ओपन नहीं होता

सब उससे पूछते हैं कोई रूम खाली है क्या आज, पर होटल पैक होता है

राम - अब क्या कर सकते हैं, हद दर्जे की बेवकूफी हैं

हम तो लड़के हैं, कोई बात नहीं लड़कियां क्या करेगी

स्वाति - अरे वो संदीप नाम का लड़का हैं, उसकी सोनिया से सगाई हुई हैं, वो ही अंदर होगा

पंकज - पर गलत है ना, अब रात को क्या करेंगे

स्वाति - बॉस को भी बताएं तो बात बढ़ जाएगी

राम - विनय जी भी चले गए, अब तो गप्पे मारो और क्या

वापस लोबी की तरफ आते हुवे दो कलिग को लिफ्ट में ही सोता हुआ पाते हैं

राम - ये देखो पीके पड़े हैं

सब लॉबी में बैठते हैं, चाय का आर्डर करते हैं

स्वाति - तुम्हारे रूम में और कोन हैं

पंकज - हम दो ही हैं

स्वाति - तो तुम्हारे रूम में चलते है यहां तो सर्दी भी बहुत हैं

राम - नहीं यार बातें बन जाएगी, रात का टाइम हैं

स्वाति - तुम बोलो तो बॉस से बात करूं

राम - नहीं नहीं

स्वाति - यार होटल हैं, सिर्फ हमारे लोग थोड़ी हैं, हर आता जाता देख रहा है, 12:30 हो गई है, 4बजे तक तो बाहर निकलेंगे, तब हम चले जाएंगे

राम को बात ठीक लगती हैं, रात भर तो सबकी नजरों में आएंगे

राम - ठीक हैं चलो

राम रूम में बेड पर लेट जाता है, रजाई को पैर पर डाल देता है,कोमल पास में ही बैठ जाती हैं

राम कोमल का हाथ पकड़ लेता है, रजाई ऊपर होने से कोई देख नहीं पाता, दोनो को एक दूसरे के हाथ का अहसास अच्छा लगता है

राम को ऐसा लगता है जैसे सारा जहान मिल गया हो।

स्वाति और पंकज सामने की चेयर पर बैठे हैं, सब बातें कर रहे हैं।

स्वाति की नीयत पंकज पर अच्छी नहीं होती, उसके पंकज को देखने के अंदाज़ से ही राम और कोमल को साफ साफ दिख रहा होता हैं

कुछ देर बाद

स्वाति - अब में और नहीं बैठ सकती,मुझे नींद आ रही हैं

राम को कॉर्नर पे खिसकने को बोलती हैं, कोमल को बीच में बैठने का बोलती हैं और खुद लेट जाती हैं

स्वाति - पंकज कितनी देर चेयर पर बैठोगे, आ जाओ रेस्ट कर लो, 1:30 तो हो ही गए हैं

पंकज - नही नहीं में ठीक हूं

स्वाति - अरे कमर तो सीधी कर लो, चेयर पर कब तक बैठे रहोगे, राम भी तो बैठा ही है, लेटना मत, बैठ तो जाओ

पंकज - अरे नहीं में ठीक हूं

स्वाति - गुस्से से - तो लाइट बंद करो

कोमल - राम में भी सोऊंगी, मेरा सर दर्द हो रहा है

राम - हां आप आराम करो

कोमल रजाई ओढ़ सो जाती हैं, राम बेड के कॉर्नर पर ही सहारा लिए बैठा हैं

स्वाति - लाइट बन्द करो पंकज

पंकज लाइट बन्द करता हैं, स्वाति खड़ी होती है पंकज का हाथ पकड़,खेंच के अपने पास कॉर्नर पर लेटा देती हैं

स्वाति - खा नहीं जाऊंगी पंकज आपको, 2 घंटे रेस्ट भी कर लो

राम आप भी लेट जाओ, बी मैच्योर

राम भी लेट जाता है

कुछ देर में सब सो जाते हैं पर राम को नींद नहीं आती

राम को कोमल की सांसों की आवाज़ सुनाई देती हैं

राम कोमल की तरफ मुंह करके सोता हैं

कमरे में गहरा अंधेरा कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा

राम हिम्मत करके अपना हाथ कोमल के सर पर रखता हैं

उसके सॉफ्ट बालों को छूता हैं

थोडा ओर करीब होता है तो कोमल की नाक,राम की नाक को लगती हैं

एक पल के लिए सब खो गया, संसार जैसे रुक सा गया

राम सोचता हैं, क्या मुझे किस्स कर लेना चाहिए

पर कोई उतावलापन मुझ में क्यों नहीं हैं, इसकी ज़रूरत भी मुझे क्यूं नहीं लग रही।

ये क्या अहसास हैं की में खुश हूं, संतुष्ट हूं, सुखी हूं, इतना भरा भरा हूं।

कोई दुनियाँ की नज़र से देखे तो मुझे मूर्ख ही बोले शायद

इस लड़की के साथ ये क्या रिश्ता है कि शरीर की कोई जरूरतें ही न रही।

अपने आप को कितना पूरा महसूस कर रहा हूं

आज किसी की कमी नहीं, में अधूरा नहीं।

क्या यही प्रेम हैं और सुना हैं प्रेम अपने में पूर्ण होता है

मैने इतना भी कहां सोचा था कि ऐसे हालात बनेंगे, इसके साथ रात भर रहूंगा, इतना पास

कोई भगवान है तो आज उसे शुक्रिया कहता हूं

राम कोमल पे हाथ रख सो जाता है

कोमल का भी हाथ राम पे आता है, दोनो ऐसे ही सो जाते हैं

सुबह 6 बजे राम उठता है

राम - कोमल उठो 6 बज गए हैं

कोमल, स्वाति रूम को चले जाते हैं

राम कॉल कर के पूछता हैं, कोमल बताती हैं कि रूम खुला हैं

राम फिर से सो जाता है

दोपहर 1 बजे रेलवे स्टेशन

विनय जी, पंकज राम कोमल को स्टेशन ड्रॉप करने आए हैं

कोमल के मामाजी, मम्मी और भाई किसी कारण से दिल्ली आए हुवे हैं, वो आने ही वाले होते हैं

कोमल - तू ड्रॉप करने आया, अच्छा लगा

राम -नहीं आता क्या

कोमल -मैने विनय जी से तेरे नंबर लिए हैं, तूने तो दिए नहीं, कभी कभी बात कर लेना

राम - नहीं वो में नहीं करूंगा

तभी कोमल की फ़ैमिली आती हैं, कोमल सब से इंट्रोडक्शन करवाती हैं

कोमल की ट्रेन लगी हुई हैं मामाजी सामान रखने की जल्दी करते है,सब मदद करते हैं

ट्रेन के जाने का टाइम ही होता है, राम ग्लास से धुंधली सी कोमल को देखता है

गोल्डन कलर सूट में, हाइ हील में कोमल परी सी लगती हैं

कोमल को राम साफ सा दिखता है, राम स्माइल करता है

कोमल के मन में एक हूक सी उठती हैं वो दौड़ के बाहर आती हैं

और सब के सामने कश के राम को गले लगा लेती हैं

अलार्म बजता हैं

गरिमा का मासूम चेहरा उदासी लपेटे सोया हुआ हैं

राम मन ही मन - मैने ही कहा था, प्यार भरा मन सबसे प्यार कर सकता है

राम गरिमा को बड़े प्यार से चूमता हैं

गरिमा जग जाती हैं

गरिमा - क्या हुआ जी

राम - कुछ नहीं, गोवा घूमने चलोगी

गरिमा का चेहरा खुशी से खिल जाता है, कहती हैं - हाँ।

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