बुधवार, 7 अप्रैल 2021

मुझे जानो

हर इंसान अपनी बातें, खुशियां, दुःख शेयर करना चाहता है. बात करके ही इंसानों को संतुष्ठी मिलती हैं. ये बेहद जरूरी हैं , आधे इंसानों के मानसिक रोग और दुख दूर हो जाए अगर ,इंसान इंसान से बात करे.लेकिन मैं यहां कुछ और कहना चाहता हूं. हम कहीं न कहीं इस चीज में उलझे रहते हैं कि लोग आपको ऐसे जाने.आपके बारे में आपकी एक राय है और आप अक्सर "आप कैसे हैं" , ये लोगो को डायरेक्ट या इनडाइरेक्ट तरीके से लोगों को जाहिर करते हैं.

इसमे समस्या ये है कि आप बताना चाह रहे हैं कि आप कितने ज्ञानी, अनुभवी या सीधे इंसान हैं. आप चाहते हैं की लोग आपको वैसे ही जज करे या आपको माने जो आप अपने बारे में सोचते हैं.दो दिन वो मान भी ले, लेकिन तीसरे दिन आपकी हरकत या व्यवहार बदलता है या ऐसे ही उनकी राय आपके बारे में कुछ और हो जाती हैं तो आप क्या करेंगे. आप अपनी इमेज को फिर से उनको समझाएंगे.या जो इमेज आपने पहले बना दी थी, वापस खुद वैसा ही व्यवहार करेंगे.

ये ऐसा ही है जैसे खुद को जंजीरो में जकड़े रखना.इससे क्या फर्क पड़ता है कि दूसरा आपके बारे में क्या सोचता है. जो आपके अपने है उन्होंने आपकी लाख बुराई के बाद भी आपका साथ दीया है और कई गुणों के बाद भी कईयों ने आपका साथ छोड़ दिया.हर आदमी की अपनी ही राय होती हैं, गलत या सही जो भी हो. इसलिए आप लोगों की नज़रों में अपने आप को देखना छोड़े और वो करें जो आपको खुशी देता है.

लोगों की महापुरुषों के बारे में भी अपनी निजी राय होती हैं या थी.
आदर्श महापुरुष गुरु गोबिंद सिंह जी जब सो रहे थे तब उन्ही के दो अंगरक्षकों पठानों ने उनपे आक्रमण किया, निसंदेह उन्हें गुरु गोबिंद सिंह जी खराब या चालबाज़ लगे होंगे. उनकी राय पक्की हो गयी तभी ऐसा कर पाए होंगे.

मरने के बाद लोग महापुरुषों को भी भुला देते हैं, आप और में तो कुछ भी नही.

सो आज़ाद होके जियो और खुश रहो.

लोगों से खूब बातें करो, छोटे बड़े सबसे मिलो बिना ये सोचे कि आपके बारे में क्या राय बन रही हैं.

रिश्ता तेरा मेरा इंसानियत का ही अच्छा है.

नामो के रिश्तों को रोज अखबारों में तार तार होते देखा है.


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