बुधवार, 7 अप्रैल 2021

नाई की दुकान

एक साहब बाल कटा रहे है. एक मैडम भी बैठी हैं, उनको थ्रेडिंग करानी है. कोरोना की वजह से स्टाफ कम हैं. मैडम अखबार पढ़ रही हैं.

साहब - "तेरे तो धंधे का खूब नुकसान हुआ होगा."

नाइ - "हां, साहब कोरोना ने तो बर्बाद कर दिया. 50 परसेंट धंधा डाउन है".

साहब -" अरे हमारे भी हालात खराब ही है. पूरे 20 लाख का नुकसान हुआ है. ये तो बस चला रहे हैं जैसे तैसे."

नाइ - "अरे साहब आपको क्या फर्क पड़ता हैं."

तभी लिखमाराम जो कि गरीब है, दुकान में आता हैं. सफाई कर्मचारी , झाड़ू लगाने वाला हैं.लिखमाराम साहब को देख नमस्कार करता है.

साहब - "और भाई लिखमाराम कैसा है".

लिखमा - "बस साहब आप की मेहरबानी है."कह कर नीचे बैठता है.

मैडम - अरे आप नीचे क्यों बैठे है. पुरी बेंच तो खाली है. बैठ जाइए.

साहब- "अरे हां लिखमा, ऊपर बैठ जा... ( लिखमा खड़ा होता ही है कि) , चल कोई नही, ये तो सम्मान हैं तेरा......

लिखमा नीचे ही बैठ जाता है."

मैडम कुछ सोच कर, फिर अखबार पे ध्यान देती है.

साहब-( तेज़ आवाज़ से)" एक तो सरकार ने झूठ फैला दिया. कोरोना सोरोना सब अफवाह है. सरकार को फायदा हैं. लोग भी डरपोक हैं, मास्क लगा के घूम रहे हैं, एक दूजे से मिलना बंद कर दिया हैं. इसी से सब के धंधे बर्बाद हो गए हैं. बहुत बड़ा घोटाला है ये.."

(बात सुन लिखमाराम, अपना मास्क उतार उपर वाली जेब मे रख लेता हैं.)

नाइ -" सही बात साहब. हर कोई इतना थोड़ी जानता है. ( लिखमा को देखते हुवे) ये सब तो भेड़ चाल वाले है."

मैडम - "अरे सर, कितने देश घोटाले करेंगे. पूरी दुनिया मे वायरस फैला हैं. बास बस इतनी है, नया वायरस हैं, सो जैसे जैसे रिजल्ट आ रहे है, वैसे ही जानकारी में बदलाव आ रहे है.'और मास्क लगाने में क्या बुराई, और भी फैलने वाली बीमारी से बचाव होता है."

साहब - "अब आप लेडीज को भी क्या समझाना."

मैडम - "क्या मतलब?"

साहब - "कहने का मतलब. मैं बिना मास्क के कई रिस्तेदारो से मिला हूं, जिनको कोरोना हुआ है. कईयों के साथ बैठ खाना खाया है. एक बार तो कोरोना वार्ड में जाके मास्क निकाल दिया. 2 घंटे घूमता रहा. वो तो डॉक्टर नाराज होने लगे तो फिर लगाना पड़ा."

नाइ - "क्या बात, वाह"

मैडम कुछ बोलती उसके बीच मे ही लिखराम ने अखबार मांगा. अखबार लेते ही, लिखमाराम को 2 जोर से छींक आयी.

कुछ छीटें साहब के मुंह पर पडे.

साहब - ( गुस्से में) - "पागल हो गया है क्या? मास्क क्यों नही लगता. अनपढ़ गंवार साले."मैडम हैरानी से साहब को देखती है.

साहब -" नाइ को- कितने रुपये हुवे तेरे"

नाइ - "80 साहब"

साहब 100 का नोट देता है.

नाइ - "खुले नही है साहब, बिस रुपया अगली बार ले लेना."

साहब -" सब मुझसे ही कमाएगा क्या?"लिखमाराम जेब से खुले 20 रुपये निकाल के देता है.

साहब गुस्से में उससे रुपये ले, दुकान के बाहर निकल जाता है.

मैडम हैरानी से उसको जाते हुवे देखती रहती हैं.


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